ब्राम्हण सेने प्रीति कर सुख ना सोयो कोय ,
बलि राजा हरिशचंद्र को गयो राज सब खोय ,
गयो राज सब खोय हरी गई सिया दुलारी ,
तीन लोक के नाथ लात उनहुन के मारी ,
कह गिरधर कविराय सुनो हे ए जगथम्मन ,
सौ सौ नेकी करौ बदी न छोड़ो वम्मन ।
बलि राजा हरिशचंद्र को गयो राज सब खोय ,
गयो राज सब खोय हरी गई सिया दुलारी ,
तीन लोक के नाथ लात उनहुन के मारी ,
कह गिरधर कविराय सुनो हे ए जगथम्मन ,
सौ सौ नेकी करौ बदी न छोड़ो वम्मन ।
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