पानी मा गुन बहुत है बसै तुम्हरे अंग,
कहूं शांति है बैठि है कहूं दिखावै रंग,
कहूं दिखावै रंग कहीं पर पानी भरना,
कहीं पर जाये उतर कहीं पर पानी चढ़ना,
कहते जी. डी. सिंह इहै महिमा लासानी,
जो तुम इज्जत चाहौ आँखि मा राखो पानी ।
कहूं शांति है बैठि है कहूं दिखावै रंग,
कहूं दिखावै रंग कहीं पर पानी भरना,
कहीं पर जाये उतर कहीं पर पानी चढ़ना,
कहते जी. डी. सिंह इहै महिमा लासानी,
जो तुम इज्जत चाहौ आँखि मा राखो पानी ।
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