लाठी में हैं गुण बहुत, सदा राखिये संग,
गहरि नदी, नाली जहाँ, तहाँ बचावै अंग,
तहाँ बचावै अंग, झपटि कुत्ता कहँ मारे,
दुश्मन दावागीर होय, तिनहूँ को झारै,
कह गिरिधर कविराय, सुनो हे दूर के बाठी,
सब हथियार छाँडि, हाथ महँ लीजै लाठी।
गहरि नदी, नाली जहाँ, तहाँ बचावै अंग,
तहाँ बचावै अंग, झपटि कुत्ता कहँ मारे,
दुश्मन दावागीर होय, तिनहूँ को झारै,
कह गिरिधर कविराय, सुनो हे दूर के बाठी,
सब हथियार छाँडि, हाथ महँ लीजै लाठी।
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