दुख म सुमिरन सब करे , सुख मे करे न कोय ।
जो सुख मे सुमिरन करे , दुख कहे को होय ॥ 1 ॥
साईं इतना दीजिये , जा मे कुटुम समाय ।
मैं भी भूखा न रहूँ , साधु न भूखा जाय ॥ २ ॥
जो सुख मे सुमिरन करे , दुख कहे को होय ॥ 1 ॥
साईं इतना दीजिये , जा मे कुटुम समाय ।
मैं भी भूखा न रहूँ , साधु न भूखा जाय ॥ २ ॥
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